December 23, 2024

विलेयता क्या है, ठोस तथा गैस की द्रव में विलेयता, प्रभावित करने वाले कारक

विलेयता

निश्चित ताप पर किसी विलायक की एक निश्चित मात्रा में घुले हुए विलेय पदार्थ की अधिकतम मात्रा को विलेयता (solubility in Hindi) कहते हैं। विलेयता विलेय तथा विलायक की प्रकृति एवं ताप और दाब पर निर्भर करती है।

आसान शब्दों में – निश्चित ताप पर 100 ग्राम विलायक में विलेय पदार्थ की ग्राम में जितनी अधिक मात्रा घोली जा सकती है। वह विलेयता कहलाती है।

विलेयता क्या है

विलेयता को ग्राम/लीटर या मोल/लीटर में व्यक्त किया जा सकता है।

ठोसों की द्रवों में विलेयता

प्रत्येक ठोस दिए गए द्रव में आसानी से नहीं घुलते हैं। ध्रुवीय विलेय ध्रुवीय विलायकों में तथा अध्रुवीय विलेय अध्रुवीय विलायकों में आसानी से घुल जाते हैं। सामान्यतः जब विलेय और विलायक दोनों में अंतराण्विक अन्योन्य क्रियाएं समान होती हैं तब यह आसानी से घुल जाते हैं।

ठोसों की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक

विलेय तथा विलायक की प्रकृति :- ध्रुवीय पदार्थ ध्रुवीय विलायकों में आसानी से घुल जाते हैं। तथा अध्रुवीय पदार्थ अध्रुवीय विलायकों में घुल जाते हैं। लेकिन ध्रुवीय पदार्थ अध्रुवीय विलायकों में अविलेय रहते हैं।

ताप का प्रभाव :- किसी विलायक में एक ठोस की विलेयता पर ताप का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है की घुलन प्रक्रिया ऊष्माक्षेपी है या ऊष्माशोषी।

दाब का प्रभाव :- ठोसों की द्रवों में विलेयता पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

गैसों की द्रवों में विलेयता

गैसें, जल तथा अन्य द्रवों के साथ निश्चित मात्रा में विलेय होती हैं। जिसे गैसों की द्रवों में विलेयता कहा जाता है। गैसों की द्रवों में विलेयता को अवशोषण गुणांक (absorption coefficient) द्वारा व्यक्त करते हैं। जिस गैस का अवशोषण गुणांक जितना अधिक होता है उस गैस की द्रव में विलेयता भी उतनी ही अधिक होती है।

गैस की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक

गैस की प्रकृति :- जो गैसें द्रव में आसानी से द्रवित हो जाती हैं वह द्रव में अधिक विलेय होती हैं। तथा जो गैसें विलायक से अभिक्रिया कर लेती हैं उनकी विलेयता अधिक होती है।

विलायक की प्रकृति :- ध्रुवीय विलायकों की ध्रुवीय गैसों में विलेयता अधिक होती है। तथा ध्रुवीय गैसें, अध्रुवीय विलायकों में बहुत कम विलेय होती हैं।

ताप का प्रभाव :- अधिकतर गैसों का द्रवों में विलेय होना ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है ऐसी गैसों की विलेयता ताप वृद्धि पर घटती है।

दाब का प्रभाव :- सामान्यतः दाब बढ़ाने पर गैसों की द्रव में विलेयता बढ़ती है। क्योंकि गैसों के दाब वृद्धि से उनके आयतन में कमी होती है जिसके फलस्वरुप इनके द्रवों के सान्द्रण में वृद्धि होती है। अतः विलेयता बढ़ती है।

गैस की द्रवों में विलेयता के प्रभाव को हेनरी के नियम द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

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