रासायनिक अभिक्रियाएं भिन्न-भिन्न वेग से संपन्न होती हैं कुछ अभिक्रियाएं तीव्र वेग से संपन्न होती है तो कुछ अभिक्रिया मंद वेग से संपन्न होती है। जबकि कुछ अभिक्रिया है तो अत्यंत मंद वेग से संपन्न होती हैं। आइये अभिक्रिया के वेग या दर का अध्ययन करते हैं।
अभिक्रिया का वेग या दर
एकांक समय में अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में परिवर्तन को अभिक्रिया की दर या अभिक्रिया का वेग (rate of reaction in Hindi) कहते हैं।
अभिक्रिया का वेग= सांद्रता में परिवर्तन/समयान्तराल
यदि सूक्ष्म समयान्तराल dt में अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में परिवर्तन dx हो तो
यहां ऋणात्मक चिन्ह द्वारा स्पष्ट होता है कि अभिकारक की सांद्रता में समय के साथ-साथ कमी होती है। जबकि धनात्मक चिन्ह द्वारा स्पष्ट होता है कि उत्पाद की सांद्रता में समय के साथ-साथ वृद्धि होती है।
यदि एक सामान्य रासायनिक अभिक्रिया निम्न है
R → P
इस अभिक्रिया में R अभिकारक अणु तथा P उत्पाद अणु है। इस अभिक्रिया की वेग को दो प्रकार से दिया जा सकता है।
1. अभिकारक R की सांद्रता में कमी होने पर
अभिक्रिया का वेग = R की सांद्रता में कमी/समयान्तराल
2. उत्पाद P की सांद्रता में वृद्धि होने पर
अभिक्रिया का वेग = P की सांद्रता में वृद्धि/समयान्तराल
इसे और विस्तार से अभिक्रिया का औसत और तात्क्षणिक वेग में समझाया गया है।
अभिक्रिया की दर/वेग की इकाई
यदि अभिकारक तथा उत्पाद की सांद्रता को मोल/लीटर में व्यक्त किया गया हो तब अभिक्रिया की दर की इकाई मोल/लीटर होगी। अभिक्रिया की दर समय वृद्धि के साथ घटती जाती है।
यदि अभिकारक तथा उत्पाद गैसीय अवस्था में हो तो अभिक्रिया के वेग की इकाई वायुमंडल/सेकंड (atm/sec) होती है।
अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक
- अभिकारकों की सांद्रता :- अभिक्रिया का वेग समय के साथ घटता जाता है। प्रारंभ में अभिकारकों की सांद्रता अधिकतम होती है अतः सांद्रता में परिवर्तन की दर भी अधिकतम होती है। अभिकारकों की सांद्रता के घटने पर अभिक्रिया का वेग भी घटने लगता है।
- तापमान :- ताप के अधिक होने पर अभिकारकों के अणुओं में टक्कर होने की संभावना बढ़ जाती है। फलस्वरुप अभिक्रिया की दर भी बढ़ जाती है सामान्यतया ताप में 10°C की वृद्धि अभिक्रिया के वेग को दो या तीन गुना बढ़ा देती है।
- उत्प्रेरक का प्रभाव :- रासायनिक अभिक्रिया की गति को प्रभावित करने वाले पदार्थ उत्प्रेरक कहलाते हैं। उनकी उपस्थिति से अभिक्रिया के वेग में वृद्धि या कमी हो सकती है। जो उत्प्रेरक की प्रकृति पर निर्भर करता है।
- दाब का प्रभाव :- गैसीय अभिकारकों का दाब बढ़ाने पर उत्पाद का आयतन कम हो जाता है। जिससे अभिक्रिया के वेग में वृद्धि हो जाती है। जबकि विपरीत परिस्थिति में अभिक्रिया के वेग में कमी हो जाती है।
- अभिकारकों का पृष्ठीय क्षेत्रफल :- अभिकारकों का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होने पर अभिक्रिया का वेग भी अधिक होता है। क्योंकि अभिकारक पदार्थों की भौतिक अवस्था का प्रभाव विषमांग अभिक्रिया पर पड़ता है। जैसे – लकड़ी के टुकड़े की तुलना में उसका चूर्ण अधिक तेजी से जलता है।
आशा है की अभिक्रिया की दर या वेग की परिभाषा और मात्रक एवं यह किन-किन बातों पर निर्भर करता है इससे related यह आर्टिकल महत्वपूर्ण रहा होगा। अपने प्रश्नों को हमें साझा करें।