विद्युत स्रोत के रूप में हम विद्युत सेल या बैटरियों को प्रयोग में लेते हैं यह मूल रूप से गैल्वेनिक सेल होते हैं। जो रेडॉक्स अभिक्रिया की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं। श्रेणीक्रम में दो या अधिक गैल्वेनिक सैलों की जुड़ी व्यवस्था को बैटरी कहते हैं। व्यापारिक सेल या बैटरी दो प्रकार के होते हैं।
1. प्राथमिक बैटरी या सेल
2. द्वितीयक बैटरी या सेल
1. प्राथमिक बैटरी या सेल
प्राथमिक सेल उन सेलों को कहा जाता है जिनमें सेल अभिक्रिया केवल एक ही बार होती है। इन सेलों में किसी बाह्य ऊर्जा स्रोत से सेल अभिक्रिया को उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है। प्राथमिक सेल को निर्धारित समय तक उपयोग में लाया जाता है इसके बाद यह अनुप्रयोग हो जाते हैं। इस प्रकार के सेलों को पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता है। प्राथमिक सेल (primary cells in Hindi) को इनके आविष्कारक के नाम पर लैक्लांशे सेल भी कहते हैं।
प्राथमिक सेल के उदाहरण
शुष्क सेल, मरकरी सेल तथा डेनियल सेल आदि प्राथमिक सेल के उदाहरण हैं। उनके संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से हैं।
शुष्क सेल
इसमें Zn का एक खोखला आवरण होता है जो एनोड का कार्य करता है। इसके मध्य कार्बन (ग्रेफाइट) की एक छड़ होती है जो कैथोड का कार्य करती है। इसके चारों ओर चूर्णित MnO2 तथा C का काला पेस्ट भरा होता है। इलेक्ट्रोड़ों के बीच में NH4Cl तथा ZnCl2 का नम पेस्ट होता है।
शुष्क सेल में निम्न अभिक्रियाएं होती हैं।
एनोड पर Zn(s) → Zn2+ + 2e–
कैथोड पर MnO2 + NH+4 + e– → MnO (OH) + NH3
शुष्क सेल का उपयोग घड़ियों, रेडियो, ट्रांजिस्टर और टॉर्च आदि में किया जाता है।
मरकरी सेल
इस सेल में जिंक मरकरी अमलगम एनोड का कार्य करता है। HgO तथा C का पेस्ट कैथोड का कार्य करता है। इन दोनों इलेक्ट्रोड़ों के मध्य KOH तथा ZnO का पेस्ट विद्युत अपघट्य के रूप में भरा रहता है।
इस सेल की इलेक्ट्रॉन अभिक्रियाएं निम्न प्रकार से हैं।
एनोड पर Zn + 2OH– → ZnO (s) + H2O + 2e–
कैथोड पर HgO + H2O + 2e– → Hg (ℓ) + 2OH–
संपूर्ण सेल अभिक्रिया निम्न प्रकार है।
Zn + HgO (s) → ZnO (s) + Hg (ℓ)
मरकरी सेल का उपयोग घड़ियों, श्रवण यंत्रों, कैमरा आदि छोटे यंत्रों में विद्युत ऊर्जा के रूप में किया जाता है।
2. द्वितीयक बैटरी या सेल
द्वितीयक सेल उन सेल को कहा जाता है। जिन्हें प्रयोग में लाने के बाद बाह्य स्रोत से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पुनः आवेशित करना संभव होता है। इन सेलों को प्रयोग में लाने के पश्चात पुनः रिचार्ज (आवेशित) किया जा सकता है। इस प्रकार इन्हें बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
द्वितीयक सेल (secondary cells in Hindi) को संचायक सेल भी कहा जाता है। क्योंकि यह विद्युत ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में संचय करने में सक्षम होता है।
द्वितीयक सेल के उदाहरण
सीसा संचायक सेल तथा निकिल कैडमियम सेल आदि द्वितीयक सेल के उदाहरण हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से है।
सीसा संचायक सेल
इसके संक्षिप्त वर्णन में आपको ज्यादा समझ नहीं आएगा इसलिए हमने इस सेल का विस्तार पूर्वक वर्णन अलग आर्टिकल में किया है। जिसका लिंक प्रस्तुत किया गया है।
पढ़ें – सीसा संचायक सेल क्या है सचित्र वर्णन कीजिए
निकिल कैडमियम सेल
यह भी एक संचायक सेल है। यह सीसा संचायक सेल की तुलना में अधिक अवधि वाला तथा महंगा होता है। इसमें Cd एनोड का कार्य करता है तथा NiO2 युक्त धात्विक जाली कैथोड का कार्य करती है। एवं KOH का विद्युत अपघट्य होता है। सेल में विद्युत धारा ग्रहण करने पर निम्न अभिक्रिया होती है।
एनोड पर Cd (s) + 2OH– (aq) → Cd(OH)2 (s) + 2e–
कैथोड पर NiO2 + 2H2O + 2e– → Ni(OH)2 (s) + 2OH– (aq)
संपूर्ण सेल अभिक्रिया निम्न प्रकार से है।
Cd (s) + NiO2 (s) + 2H2O (ℓ) → Cd(OH)2 (s) + Ni(OH)2 (s)