December 23, 2024

ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया क्या हैं उदाहरण सहित, अंतर

ऑक्सीकरण

किसी परमाणु, अणु या आयन द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रोनों के त्याग करने की प्रक्रिया को ऑक्सीकरण (oxidation reaction in Hindi) कहते हैं। इलेक्ट्रोनों का त्याग करने के पश्चात प्राप्त तत्व (परमाणु अणु या आयन) में या तो धन आवेश की वृद्धि होती है अथवा ऋण आवेश की कमी होती है।
ऑक्सीकरण प्रक्रिया में किसी तत्व की संयोजकता बढ़ती है। तथा तत्व की संयोजकता में हुई वृद्धि त्याग किये गये इलेक्ट्रॉन की संख्या के बराबर होती है।

ऑक्सीकरण अभिक्रिया के उदाहरण

  • Zn → Zn2+ + 2e
  • Cu → Cu2+ + 2e
  • Fe2+ → Fe3+ + e
  • Cl → Cl + e

ऑक्सीकारक :- वे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है ऑक्सीकारक कहलाता है। रेडॉक्स अभिक्रिया में इस पदार्थ का अपचयन होता है।

अपचायक :- वे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है अपचायक कहलाता है। रेडॉक्स अभिक्रिया में इस पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है।

ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रियाएं

जो पदार्थ ऑक्सीकृत होता है वह किसी अन्य पदार्थ को इलेक्ट्रॉन त्याग कर उसे अपचयित होने के लिए बाध्य करता है अर्थात् ऑक्सीकृत होने वाला पदार्थ एक अपचायक की भांति कार्य करता है।
ठीक इसी प्रकार जो पदार्थ अपचयित होता है वह किसी अन्य पदार्थ से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके उसे ऑक्सीकृत होने के लिए बाध्य करता है अर्थात् अपचयित होने वाला पदार्थ एक ऑक्सीकरण की भांति कार्य करता है।

अपचयन

किसी परमाणु, अणु या आयन द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करने की प्रक्रिया को अपचयन (reduction reaction in Hindi) कहते हैं। इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने के पश्चात प्राप्त तत्व (परमाणु, अणु या आयन) में या तो धन आवेश की कमी होती है अथवा ऋण आवेश की वृद्धि होती है।

अपचयन अभिक्रिया के उदाहरण

  • Cu2+ + 2e → Cu
  • Fe3+ + e → Fe2+
  • Sn4+ + 2e → Sn2+
  • Cl2 + 2e → 2Cl

ऑक्सीकरण तथा अपचयन पूरक प्रक्रियाएं हैं। ऑक्सीकरण प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन का त्याग होता है जबकि अपचयन प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन का ग्रहण होता है। कोई पदार्थ इलेक्ट्रॉन को तभी त्याग सकता है जब कोई अन्य पदार्थ उस इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने के लिए उपस्थित हो। अर्थात् कोई पदार्थ ऑक्सीकृत तभी हो सकता है जब कोई अन्य पदार्थ अपचयित हो रहा हो।
इसके विपरीत कोई पदार्थ अपचयित तभी हो सकता है जब कोई अन्य पदार्थ ऑक्सीकृत हो रहा हो।
अतः ऑक्सीकरण और अपचयन प्रक्रियाएं एक साथ ही संपन्न होती हैं। तब यह एक दूसरे की पूरक हैं।

ऑक्सीकरण और अपचयन में अंतर

  1. ऑक्सीकरण प्रक्रम में इलेक्ट्रॉन का त्याग होता है जबकि अपचयन प्रक्रम में इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं।
  2. ऑक्सीकरण के बाद ऑक्सीकरण संख्या का मान बढ़ता है जबकि अपचयन के बाद ऑक्सीकरण संख्या का मान घटता है।
  3. C + O2 → CO2 ऑक्सीकरण का उदाहरण है जबकि CuO + C → Cu + CO अपचयन का उदाहरण है।

हम आशा करते हैं कि Gyan Rani द्वारा प्रस्तुत ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया के नोट्स आपके लिए मददगार रहे होंगे। अगर आपके पास कोई प्रश्न हो तो हमसे साझा करने में संकोच न करें। धन्यवाद

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