किसी अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सांद्रता की एक निश्चित घात पर निर्भर करता है। आइये अभिक्रिया की कोटि पर अध्ययन करते हैं।
अभिक्रिया की कोटि
किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अणुओं की वह संख्या जिनकी सांद्रता रासायनिक अभिक्रिया के दौरान परिवर्तित होती है। अभिक्रिया की कोटि (order of reaction in Hindi) कहलाती है।
अथवा किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग नियम में निहित अभिकारकों के सांद्रता पदों की घातों के योग को उसे अभिक्रिया की कोटि कहते हैं।
जैसे :- एक सामान्य अभिक्रिया
aA + bB → cC + dD
वेग नियम से, वेग ∝ [A]x[B]y
वेग = k [A]x[B]y
∴ अभिक्रिया की कोटि = x + y
इस वेग नियम में पद x अभिकारक A के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि तथा y अभिकारक B के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि को व्यक्त करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु :- x तथा y का मान a तथा b के समान भी हो सकता है अथवा उनसे भिन्न भी हो सकता है।
अभिक्रिया की कोटि के प्रकार
कोटि के आधार पर अभिक्रियाओं को शून्य, प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय कोटि की अभिक्रियाओं में वर्गीकृत किया गया है। अर्थात् अभिक्रिया की कोटि चार प्रकार की होती है।
1. शून्य कोटि की अभिक्रिया
2. प्रथम कोटि की अभिक्रिया
3. द्वितीय कोटि की अभिक्रिया
4. तृतीय कोटि की अभिक्रिया
महत्वपूर्ण बिंदु :- कक्षा 12 रसायन विज्ञान के अंतर्गत केवल शून्य तथा प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। द्वितीय तथा तृतीय कोटि की अभिक्रियाओं का अध्ययन आप उच्च कक्षाओं में करोगे।
जब किसी अभिक्रिया के लिए कोटि का मान 0 होता है तो उसे शून्य कोटि की अभिक्रिया कहा जाता है। तथा यदि कोटि का मान 1 है तो उसे प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहा जाता है। इसी प्रकार कोटि का मान 2 तथा 3 है तो उसे क्रमशः द्वितीय तथा तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहते हैं।
अभिक्रिया की कोटि के उदाहरण
- 2N2O5 (g) → 4NO2 (g) + O2 (g)
वेग = k [N2O5]1
∴ अभिक्रिया की कोटि = 1 - CH3COOC2H5 (ℓ) + NaOH (aq) → CH3COONa (aq) + C2H5OH (g)
वेग = k [CH3COOC2H5]1[NaOH]1
∴ अभिक्रिया की कोटि = 1 + 1 = 2 - 2NO (g) + O2 (g) → 2NO2 (g)
वेग = k [NO]2[O2]1
∴ अभिक्रिया की कोटि = 2 + 1 = 3
अभिक्रिया की कोटि को ज्ञात करने की विधियां
किसी अभिक्रिया के वेग नियम में व्यक्त अभिकारकों के सांद्रता पदों के योग को अभिक्रिया की कोटि कहा जाता है। यह अभिक्रिया की कोटि को ज्ञात करने की सबसे सरल विधि है। इसमें अभिक्रिया के वेग नियम में व्यक्त अभिकारकों की सांद्रता पदों की घात का जितना योग होता है। वह उतनी ही कोटि की अभिक्रिया होती है।
जैसे :- 2NO (g) + O2 (g) → 2NO2 (g)
वेग = k [NO]2[O2]1
अभिकारकों के सांद्रता पदों की घात का योग 2 + 1 = 3 है। ∴ यह तृतीय कोटि की अभिक्रिया है।
महत्वपूर्ण बिंदु :-
aA + bB → cC + dD
वेग = k [A]x[B]y
∵ अभिक्रिया की कोटि = x + y
सांद्रता का मात्रक मोल/लीटर तथा समय का मात्रक सेकंड लेने पर
1. शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक k का मात्रक मोल/लीटर-सेकंड होता है।
2. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक k का मात्रक सेकंड-1 होता है।
3. द्वितीय कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक k का मात्रक लीटर/मोल-सेकंड होता है।