ऊष्मीय संयंत्रों से विद्युत उत्पादन किया जाता है यह अत्यधिक लाभकारी विधि नहीं है इससे प्रदूषण अधिक मात्रा में होता है। आइये ईंधन सेल पर चर्चा करते हैं।
ईंधन सेल
वह युक्ति जो ईंधन की रासायनिक ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है उसे ईंधन सेल (Fuel Cells in Hindi) कहते हैं।
इन सेलों में कुछ विशिष्ट ईंधन जैसे H2, CO, CH4 तथा C3H8 आदि का उपयोग किया जाता है। जिससे विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है। इनमें ईंधन की सतत् आपूर्ति की जाती है तथा उत्पादों को विद्युत अपघट्य कक्ष में लगातार निष्कासन किया जाता है। अब तक विभिन्न प्रकार के ईंधन सेल का निर्माण किया गया है जिनमें से H2–O2 (हाइड्रोजन-ऑक्सीजन) ईंधन सेल मुख्य उदाहरण है।
ऊष्मीय संयंत्रों में जीवाशमी ईंधन (कोयला, प्राकृतिक गैस या तेल) की दहन ऊष्मा (रासायनिक ऊर्जा) का उपयोग कर जल को उच्च दाब की वाष्प में परिवर्तित किया जाता है इस जलवाष्प के द्वारा टरबाइन को घूमाकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। ऊष्मीय संयंत्र वातावरण प्रदूषण फैलाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। जिस कारण आज इनका उपयोग बहुत कम होने लगा है।
एक गैल्वेनिक सेल रासायनिक ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है तथा इसकी दक्षता भी अधिक होती है।
ऐसे गैल्वेनिक सेल जिसमें हाइड्रोजन, मेथेन एवं मेथेनॉल आदि ईंधनों की दहन ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। ईंधन सेल कहलाते हैं। सर्वाधिक सफल ईंधन से H2–O2 ईंधन सेल है।
हाइड्रोजन-ऑक्सीजन ईंधन सेल
यह सेल विद्युत ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है H2–O2 सेल का उपयोग USA के अपोलो अंतरिक्ष अभियान में विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में किया गया था।
इस सेल में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के संयोग से जल के निर्माण अभिक्रिया किया जाता है। इसमें H2 तथा O2 गैस के बुलबुलों को सरन्ध्र कार्बन इलेक्ट्रोड़ों के माध्यम से सांद्र NaOH विलयन में प्रवाहित किया जाता है। इलेक्ट्रोड पर अभिक्रिया की दर को बढ़ाने के लिए सूक्ष्म विभाजित उत्प्रेरकों Pt या Pd का प्रयोग करते हैं उनकी इलेक्ट्रोड अभिक्रिया निम्न प्रकार हैं।
एनोड पर 2H2 (g) + 4OH– (aq) → 4H2O (ℓ) + 4e–
कैथोड पर O2 (g) + 2H2O (ℓ) + 4e– → 4OH– (aq)
संपूर्ण सेल अभिक्रिया निम्न प्रकार है।
2H2 (g) + O2 (g) → 2H2O (ℓ)
यह सेल तब तक लगातार कार्य करता है जब तक अभिकारको की आपूर्ति की जाती है।
ईंधन सेल की विशेषताएं
- उच्च दक्षता :- ईंधन सेल, ईंधन ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं इसलिए उनकी दक्षता अधिक होती है।
- प्रदूषण मुक्त कार्य :- ईंधन सेलों में कोई हानिकारक उत्पाद उत्पन्न नहीं होता है इसलिए यह प्रदूषण नहीं फैलाते हैं। अर्थात् ईंधन सेल प्रदूषण मुक्त कार्य करते हैं।
- ऊर्जा की सतत् आपूर्ति :- इसमें साधारण सेलों की भांति इलेक्ट्रोड पदार्थ को नहीं बदला जाता है। इसमें ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ईंधन की सतत् आपूर्ति की जाती है।
ईंधन सेल की सीमाएं
- गैसीय ईंधन के प्रयोग में अनेक समस्याएं आती हैं जैसे H2 तथा O2 का भंडारण द्रव अवस्था में उच्च दाब तथा निम्न ताप पर विशिष्ट प्रकार के सिलेंडरों में किया जाता है।
- इलेक्ट्रोड अभिक्रियाओं के लिए आवश्यक उत्प्रेरक (Pt, Pd, Ag) का प्रयोग होता है जो महंगी धातुएं हैं जिनसे इनका मूल्य बढ़ जाता है।
आशा है कि ईंधन से संबंधित यह आर्टिकल आपकी समस्याओं का समाधान कर चुका होगा। यदि आपका कोई प्रश्न है तो हमसे संपर्क आवश्य करें।