आवर्त सारणी में वर्ग 3 से लेकर वर्ग 12 तक के तत्वों को संक्रमण तत्व या d-ब्लॉक के तत्व कहा जाता है। यह तत्व अनुचुंबकीय प्रकृति प्रदर्शित करते हैं। d-ब्लॉक के तत्व के बारे में अध्ययन करते हैं।
d-ब्लॉक के तत्व या संक्रमण तत्व
जिन तत्वों में अंतिम इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कोश के पिछले कोश के d-ऑर्बिटल में प्रवेश करते हैं अर्थात् (n -1)d उपकोश में प्रवेश करते हैं। d-ब्लॉक के तत्व (d-block elements in Hindi) कहलाते हैं। आवर्त सारणी में इन तत्वों को वर्ग 3 से 12 तक रखा गया है।
d-ब्लॉक के तत्वों को आवर्त सारणी में s-ब्लॉक व p-ब्लॉक के मध्य रखा गया है इसलिए d-ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व (transition elements) भी कहते हैं। क्योंकि यह तत्व s-ब्लॉक (धनविद्युती तत्व) तथा p-ब्लॉक (ऋणविद्युती तत्व) के मध्यवर्ती गुण प्रदर्शित करते हैं।
सामान्य रूप से d-ब्लॉक के तत्वों के बाह्य कक्षकों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n -1)d1-10ns1-2 होता है।
संक्रमण तत्वों का वर्गीकरण
संक्रमण तत्वों का वर्गीकरण (n -1)d उपकोश के आधार पर किया गया है। जिसमें संक्रमण तत्वों को चार क्षैतिज श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
प्रथम संक्रमण या 3d-श्रेणी :- इस श्रेणी में अंतिम इलेक्ट्रॉन 3d-उपकोश में प्रवेश करते हैं। इसमें 21Sc से 30Zn तक दस तत्व पाए जाते हैं। यह आवर्त सारणी में चतुर्थ आवर्त में स्थित है।
द्वितीय संक्रमण या 4d-श्रेणी :- इस श्रेणी में अंतिम इलेक्ट्रॉन 4d-उपकोश में प्रवेश करते हैं। इसमें 39Y से 48Cd तक दस तत्व पाए जाते हैं। यह आवर्त सारणी में पांचवें आवर्त में स्थित है।
तृतीय संक्रमण या 5d-श्रेणी :- इस श्रेणी में अंतिम इलेक्ट्रॉन 5d-उपकोश में प्रवेश करते हैं। इसमें 57La तथा 72Hf से 80Hg तक दस तत्व पाए जाते हैं। यह आवर्त सारणी में छठवें आवर्त में स्थित है।
चतुर्थ संक्रमण या 6d-श्रेणी :- इस श्रेणी में अंतिम इलेक्ट्रॉन 6d-उपकोश में प्रवेश करते हैं। इसमें 89Ac तथा 104Rf से 112Cn तक दस तत्व पाए जाते हैं। यह आवर्त सारणी में सातवें आवर्त में स्थित है।
d-ब्लॉक के तत्वों के सामान्य गुण
1. परमाणु त्रिज्याएं
संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्याएं, परमाणु क्रमांक के बढ़ने पर घटती हैं। परंतु श्रेणी के मध्य के बाद परमाणु त्रिज्या का घटना कम हो जाता है एवं श्रेणी के अंत में पुनः बढ़ने लगती है। जैसे प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों की परमाणु त्रिज्या Sc से Cr तक घटती है परंतु Cr से Cu तक यह स्थिर हो जाती हैं और Zn से बढ़ जाती हैं।
2. आयनन एंथैल्पी
संक्रमण श्रेणी में बाएं से दाएं जाने पर आयनन एंथैल्पी का मान नाभिकीय आवेश में वृद्धि के कारण बढ़ता है यद्यपि यह वृद्धि बहुत कम होती है।
3. गलनांक व क्वथनांक
संक्रमण तत्वों के गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं क्योंकि इनके बीच प्रबल धात्विक बन्ध होते हैं तथा धात्विक बन्धों की प्रबलता d-उपकोश में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करता है।
4. क्रियाशीलता
d-ब्लॉक तत्व साधारणता कम क्रियाशील होते हैं। इसका कारण इनका उच्च आयनन विभव, उच्च ऊर्ध्वपतन ऊर्जा तथा आयनों की कम जलीय ऊर्जा का होना है।
5. ऑक्सीकरण अवस्था
अधिकांश d-ब्लॉक के तत्व अनेक प्रकार की ऑक्सीकरण अवस्थाएं प्रदर्शित करते हैं। कुछ एक अपवाद को छोड़कर संक्रमण तत्व एक से अधिक ऑक्सीकरण अवस्था को प्रदर्शित करते हैं।
6. उत्प्रेरक गुण
d-ब्लॉक के तत्व और उनके यौगिकों में उत्प्रेरक का गुण पाया जाता है। जैसे MnO2 पोटैशियम क्लोरेड से ऑक्सीजन बनाने में उत्प्रेरक का कार्य करता है। तथा Fe, Pt, Pd, Ni भी उत्प्रेरक की तरह प्रयुक्त होते हैं।
7. चुंबकीय गुण
d-ब्लॉक के तत्व अनुचुंबकीय गुण प्रदर्शित करते हैं क्योंकि इनमें (n -1)d उपकोश में प्रायः अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं।
8. रंगीन आयनों का निर्माण
संक्रमण तत्व ठोस तथा विलयन में रंगीन लवण देते हैं लवणों के रंगीन होने का कारण अपूर्ण d-कक्षकों की उपस्थिति है। यह देखा गया है कि संक्रमण धातु आयन जिनके d-कक्षक पूर्ण होते हैं। वह रंगहीन होते हैं। क्योंकि इनमें d-कक्षकों में इलेक्ट्रॉन का उत्तेजित होना संभव नहीं है।
9. मिश्रधातु का निर्माण
दो या दो से अधिक धातुओं के मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं। संक्रमण धातुओं में अभिलाक्षणिक गुणों तथा उनकी त्रिज्याओं में समानता होने के कारण यह मिश्रधातुओं का निर्माण करती हैं। जैसे – पीतल (कॉपर + जिंक) कांसा (कॉपर + टिन) आदि।
आशा है कि d-ब्लॉक के तत्व या संक्रमण तत्व से related यह आर्टिकल आपके लिए मदद पूर्ण रहा होगा। अगर आपकी कोई समस्या है तो हमसे जरूर साझा करें।