December 23, 2024

परासरण दाब क्या है सूत्र, महत्व, अर्धपारगम्य झिल्ली, osmotic pressure in Hindi

परासरण

वह प्रक्रम जिसमें विलायक के अणुओं का कम सांद्रता वाले विलयन से उच्च सांद्रता वाले विलयन की ओर अर्धपारगम्य झिल्ली में से प्राकृतिक प्रवाह परासरण (osmosis in Hindi) कहलाता है।
अर्धपारगम्य झिल्ली में से विलायक का तनु विलयन से सांद्र विलयन की ओर प्रवाह परासरण का कारण है।

परासरण दाब

किसी विलयन तथा विलायक को अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक करके उसके परासरण को रोकने के लिए लगाए गए आवश्यक बाह्य दाब को परासरण दाब (osmotic pressure in Hindi) कहते हैं। इसे π से व्यक्त किया जाता है।
परासरण दाब विलायक के अणुओं को अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सांद्रता वाले विलयन की ओर जाने से रोकता है।

परासरण दाब का सूत्र

परासरण दाब दिए गए ताप T पर मोलरता M के समानुपाती होता है।
π = MRT
जहां R गैस स्थिरांक है।
मोलरता M = विलेय के मोलों की संख्या/विलयन का आयतन (ली. में) = n/V
Note :- कहीं-कहीं पर M के स्थान पर C का भी प्रयोग किया गया है।
तब परासरण दाब

परासरण दाब का सूत्र

w, T, π तथा V ज्ञात होने पर विलय के मोलर द्रव्यमान अनुभर को ज्ञात किया जा सकता है। जब π को वायुमण्डल में, V को लीटर में तथा T को कैल्विन में प्रयोग किया जाए तब R का मान 0.0821 L-atm/mol-K होता है।

अर्धपारगम्य झिल्ली

वह झिल्ली जो अपने में से होकर केवल विलायक के अणुओं को ही जाने देती है परंतु विलेय के अणुओं को नहीं जाने देती है। तब इस प्रकार की झिल्ली को अर्धपारगम्य झिल्ली (semi permeable membrane) कहते हैं।
जैसे :- चर्म-पत्र, अण्डे की झिल्ली, कॉपर फेरोसायनाइड झिल्ली आदि अर्धपारगम्य झिल्ली के उदाहरण हैं।

समपरासरी विलयन

वह विलयन जिनके परासरण दाब समान होते हैं। उन्हें समपरासरी विलयन कहा जाता है। इस प्रकार के विलयनों के बीच अर्धपारगम्य झिल्ली से होकर विलायक का प्रवाह किसी भी दिशा में नहीं होता है। समपरासरी विलयनों के मोलर सांद्रण समान होते हैं।

अतिपरासरी विलयन

दो भिन्न-भिन्न परासरण दाब वाले विलयनों में से जिस विलयन का परासरण दाब उच्च होता है। उसे अतिपरासरी विलयन कहते हैं। अतिपरासरी विलयन सांद्रण अधिक होता हैं।

अल्पपरासरी विलयन

दो भिन्न-भिन्न परासरण दाब वाले विलयनों में से जिस विलयन का परासरण दाब कम होता है। उसे अल्पपरासरी विलयन कहते हैं। अतिपरासरी विलयन सांद्रण कम होता हैं।

परासरण का महत्व

परासरण का अनेक जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण योगदान है।

  • पौधों में जल का अवशोषण :- जड़ों से पौधों की पत्तियां तक पानी का प्रवाह परासरण के कारण ही होता है।
  • वृक्क में अपशिष्ट पदार्थ का उत्सर्जन :- रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थ वृक्क में अर्धपारगम्य झिल्ली के माध्यम से परासरण द्वारा मूत्र में उत्सर्जित हो जाते हैं।
  • कोशिका वृद्धि :- कोशिकाओं के विकास तथा विस्तार के लिए परासरण जरूरी है।

प्रतिलोम परासरण

विलयन पर यदि परासरण दाब से अधिक दाब लगाया जाए तब परासरण की दिशा को प्रतिरिवर्तित किया जा सकता है अर्थात् शुद्ध विलायक अब अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा विलयन में से पारगमन करता है। इस घटना को प्रतिलोम परासरण कहते हैं। यह घटना व्यावहारिक रूप से अत्यधिक उपयोगी है।

परासरण दाब के आंकिक प्रश्न

  1. 24°C पर गन्ने की शक्कर के विलयन का परासरण दाब 2.5 वायुमंडल है इस विलयन का सांद्रण मोल/लीटर में ज्ञात कीजिए? (R = 0.0821 L-atm/mol-K)

हल :- ताप T = 24 + 273 = 297K
गन्ने की शक्कर (सुक्रोस C12HC22OC11) का अणुभार = 12×12 + 22×1 + 11×16 = 342
परासरण दाब π = 2.5 atm
R = 0.0821 L-atm/mol-K
सांद्रता = ?

परासरण दाब क्या है

अतः विलयन की सांद्रता 0.1025 M है।

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