जब किसी धातु की छड़ को उसके लवण के विलयन में डूबाया जाता है तो विलयन व धातु की छड़ के मध्य इलेक्ट्रॉनों का विनियम प्रारंभ हो जाता है। तब इस प्रकार की छड़ को इलेक्ट्रोड कहते हैं।
इलेक्ट्रोड विभव
जब किसी धातु की छड़ को इस धातु के किसी लवण के विलयन में रखा जाता है। तो धातु की छड़ की सतह पर धनात्मक अथवा ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है। तथा उसके विभव में भी परिवर्तन हो जाता है धातु की छड़ तथा विलयन के मध्य उत्पन्न विभव के अंतर को उसे धातु का इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential in Hindi) कहते हैं। इसे E द्वारा व्यक्त किया जाता है।
M (s) → Mn+ (aq) + ne–
इलेक्ट्रोड विभव का मान धातु तथा उसके लवण के आयनन की प्रकृति पर निर्भर करता है। जो धन या ऋण आवेशित हो सकता है। इलेक्ट्रोड विभव का मापन वोल्ट में किया जाता है।
इलेक्ट्रोड विभव का उदाहरण
माना एक धातु M अपने आयनों Mn+ के संपर्क में है तो इसमें निम्न तीन संभावनाएं में से कोई एक संभव हो सकती है।
(i) धातु आयन इलेक्ट्रोड से टकराएं और किसी में कोई परिवर्तन न हो।
(ii) धातु परमाणु ऑक्सीकरण हो जाएं अर्थात् धातु परमाणु n इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर Mn+ आयन विलयन में चला जाएं।
M (s) → Mn+ (aq) + ne–
(iii) धातु आयन अपचयित हो जाएं अर्थात् धातु आयन Mn+ इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके उदासीन परमाणु M में परिवर्तित हो जाएं।
Mn+ (aq) + ne– → M (s)
महत्त्वपूर्ण बिन्दु :- जब एक धातु में ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति अधिक होती है तो इलेक्ट्रोड पर एक ऋणात्मक विभव उत्पन्न होता है। इसके विपरीत जब धातु आयन में अपचयित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है तो इलेक्ट्रोड पर एक धनात्मक विभव उत्पन्न होता है। ऑक्सीकरण विभव को EM/Mn+ तथा अपचयन विभव को EMn+/M द्वारा व्यक्त किया जाता है।
मानक इलेक्ट्रोड विभव
25°C ताप पर किसी धातु की छड़ को उसके लवण के 1 मोलर सांद्रता के विलयन में रखा जाता है। तो धातु की छड़ की सतह पर धनात्मक अथवा ऋणात्मक आवेश आ जाता है। तथा धातु और आयनों के बीच विभावांतर उत्पन्न होता है जिसे मानक इलेक्ट्रोड विभव (standard electrode potential in Hindi) कहते हैं। इसे E° द्वारा व्यक्त किया जाता है। मानक इलेक्ट्रोड विभव का मात्रक भी वोल्ट होता है।
E°सेल = E°दायां – E°बायां
जब मानक अवस्थाओं में एक इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण प्रक्रिया के कारण जो विभव उत्पन्न होता है। तो उसे मानक ऑक्सीकरण विभव कहते हैं। इसे E°M/Mn+ द्वारा व्यक्त करते हैं। इसके विपरीत जब मानक अवस्थाओं में अपचयन की प्रक्रिया के कारण जो विभव उत्पन्न होता है। तो उसे मानक अपचयन विभव कहते हैं। इसे E°Mn+/M द्वारा व्यक्त करते हैं।
मानक इलेक्ट्रोड विभव का मापन
एक एकल इलेक्ट्रोड के इलेक्ट्रोड विभव का मापन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि एक एकल इलेक्ट्रोड पर या तो कोई ऑक्सीकरण या अपचयन अभिक्रिया होती है। एवं दो इलेक्ट्रोडों के मध्य उत्पन्न विभवान्तर को मापा जा सकता है
किसी एकल इलेक्ट्रोड के इलेक्ट्रोड विभव को मापने के लिए उसे एक मानक हाइड्रोजन विभव (SHE) के साथ जोड़कर एक गैल्वेनिक सेल का निर्माण किया जाता है। अतः दोनों के मध्य इलेक्ट्रोड विभव को मापा जा सकता है।
E°सेल = E°कैथोड – E°एनोड
यदि किसी इलेक्ट्रोड का मानक इलेक्ट्रोड विभव धनात्मक होता है तो इसकी अपचयित अवस्था हाइड्रोजन गैस से अधिक स्थायी होती है तथा यदि मानक इलेक्ट्रोड विभव ऋणात्मक होता है तो हाइड्रोजन गैस उसे स्पीशीज की अपचयित अवस्था से अधिक स्थायी होती है।
विद्युत रासायनिक श्रेणी में फ्लुओरीन गैस का मानक इलेक्ट्रोड विभव अधिकतम है अतः इसे स्पष्ट होता है कि फ्लुओरीन गैस की फ्लोराइड आयन में अपचयित होने की प्रवृत्ति अधिकतम है।
मानक इलेक्ट्रोड विभव का उपयोग विद्युत रासायनिक सेल के विद्युत वाहक बल की गणना करने के लिए किया जाता है।
सेल का EMF = E°सेल = E°दायां – E°बायां